दान सुपात्र को करना है।

दान सुपात्र को ही करना चाहिए तभी वह दान फल दायक होता है। कुपात्र को दिया गया दान फलदायक नहीं होता है। और दान समय के अनुसार भी करना चाहिए।
जब किसी का पेट भरा हो घर में किसी की कोई कमी नहीं हो अगर हम उसको दान करते हैं वह चाहे पंडितों ब्राह्मण हो संतो या कोई भी हो तो उस दान का फल नहीं मिलता है उसमें यह कुपात्र हैं।
जब कोई भूखा हो या परिवार के सभी सदस्य भूखे हो उस समय अगर उनको भोजन दे या उनकी आवश्यक सामग्री दें तो वह दान फल का होता है।
वर्तमान समय से कोरोना वायरस जैसी भयंकर बीमारी के कारण भारत में लोक डाउन चल रहा है जिसस मजदूर लोग आम जनता परेशान हो रही है उनके पास खाने का राशन नहीं है भोजन नहीं है तो जो इस समय दान करता है उन भूखे को भोजन देता है वह पुण्य का काम है। और यह पुण्य का काम भारत के हरियाणा राज्य के हिसार के संत रामपाल जी के आदेश से संत जी के अनुयाई यह पुण्य का काम कर रहे हैं गांव गांव में जाकर भूखे लोग गरीब लोग को भोजन राशन सामग्री वितरित कर रहे हैं इसे कहते हैं सेवा यह है दान।
संत जी के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप टीवी के श्रद्धा चैनल पर दिन में 2:00 बजे से 3:00 बजे तक सत्संग देख सकते हैं।
संत रामपाल जी महाराज कबीर साहेब परमात्मा की शास्त्रों के अनुसार भक्ति बताते हैं यह भी एक प्रकार का यज्ञ है।

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